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Tuesday, December 27, 2011

पुरुष सूक्त में बामण से ले कर शूद्र तक कौन किस प्रकार का आचरण करे इसका वर्णन किया गया है. भगवान बुद ने इस बात को नहीं माना. उन्होंने इसकी आलोचना की है. चातुर्वर्ण की सख्त आलोचना की है. चातुर्वर्ण के अनुसार शत्रियों के लिए कहा गया है की उनका काम केवल मारना ही है. आवश्यकता पड़ने पर एकदूसरे की ह्त्या करना न्याययुक्त हो सकता है. लेकिन ऐसे कार्य को किसी जाती का कर्त्तव्य कैसे बनाया जा सकता है.- डॉ. बी आर अम्बेडकर

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