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Friday, December 16, 2011

हनुमान की पूजा अस्पर्श और शूद्र करते हैं. सप्ताह में एक बार उपवास भी रखते हैं. बंदरनुमा देवता की पूजा करके अस्पर्श और शूद्र अपना उद्धार करना चाहते हैं. हनुमान बड़ा व्यभिचारी था. वाल्मिकी रामायण में कहा गया है कि जब उस बंदरनुमा मनुष्य ने राम और सीता के सम्बन्ध में कुशल समाचार भरत को दिया तब भरत ने इसे १६ लड़कियों को उपहार के रूप में दिया.- डॉ बी आर अम्बेडकर (३० जनवरी १९४४ कानपुर)

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