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Sunday, November 6, 2011

हिन्दू धर्म में बुद्धी और विचारों की प्रधानता है ही नहीं. उसमें मान-मर्याद भी नहीं है. हर हिन्दू को वेदों की गुलामी करनी ही पड़ती है. जब तक आप हिन्दू धर्म में हैं, तब तक आपको वैचारिक स्वतंत्रता नहीं मिलेगी. क्योंकि वेद, उपनिषद, ऋषि-मुनि-गीता, सभी व्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध हैं और आपके विरुद्ध भी हैं. यह निसंदेह बात है. स्वतंत्रता के लिए धर्म परिवर्तन करें (बौद्ध धर्म अपनाए) - डॉ बी आर अम्बेडकर (३० मई १९३९ बम्बई)

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