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Thursday, January 5, 2012

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भगवतगीता का अध्ययन करने पर चार बातों का अनुभव मुझे हुआ. मेरा अपना विचार है की कृष्णवर्ण के जातिवाले यानी ग्वालों में अर्जुन के निराश होने पर उन्हें कृष्ण ने युद्ध लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया. इसीलिए कृष्ण की स्तुति में प्रारंभ में कुछ श्लोकों को लिखा गया. इसमें धर्म या तत्वों की कोई बात न थी. - डॉ. बी आर अम्बेडकर, २४ नवम्बर,१९४४ पुणे में गीता पर भाषण

Wednesday, January 4, 2012

Photographs of Seminar on Dalit writer Dr. SL Dhani's Contribution to Indian Society. http://ping.fm/ncqBd
सँख्या सिद्धांत के आधार पर श्री कृष्ण ने चातुर्वर्ण की नींव को डाला है. संख्यकार ने चार गुण या चार वर्णों की नींव को डाला. आजतक किसी विद्वान ने संख्यकार और श्री कृष्ण के तत्वों में समानता लाने का प्र्यतन्न नहीं किया है. भगवतगीता के कारण ही आज तक चातुर्वर्ण जीवित रहा है. - डॉ. बी आर अम्बेडकर, २४ नवम्बर, १९४४ पुणे में गीता पर भाषण

Tuesday, January 3, 2012

इसी राजनैतिक ग्रन्थ भगवतगीता के कारण बामणों ने अपने हाथों से गई हुई राज्य सत्ता को पुनह वापिस लिया. गीता की रचना से पूर्व वर्णाश्रम की जो अवस्था थी उसे जैमिनी ने पूर्वमीमांसा नामक ग्रन्थ में लिखा है. वेदों पर केवल बुद्ध ने ही नहीं बल्कि चारवाक अदि विद्वानों ने भी समालोचना की है. भगवाव बुद्ध के वेदों के खंडन करने के कारण शूद्र सेवक न रह कर देश के शासक बने. - डॉ. बी आर अम्बेडकर, २४ नवम्बर,१९४४ पुणे में गीता पर भाषण

Sunday, January 1, 2012

Pictures of "Seminar on contribution of Dalit writer Dr. SL Dhani to Indian Society, conducted on 1st Jan 2012 at Gole Market, New Delhi (on facebook, facebook non users search flickr) http://ping.fm/36FHm?set=a.2966989302528.2157547.1495546106&type=1

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